हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, आयतुल्लाह आराफ़ी ने पर्यावरण संरक्षण संगठन की अध्यक्ष, और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान, पर्यावरण क्षेत्र में हालिया बदलावों को ध्यान में रखते हुए, पर्यावरण के समग्र नियमों में परिवर्तन के लिए व्यापक समीक्षा करने, क़ुम प्रांत में पर्यावरण से संबंधित गंभीर समस्याओं जैसे धूल, सूखा, जल की कमी आदि का समाधान करने, और हौज़ा तथा पर्यावरण संगठन के बीच सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता पर बल दिया। इस समझौते में दो शर्तें थीं: एक स्वतंत्र सचिवालय की स्थापना और इस क्षेत्र में पांच साल की कार्य योजना का निर्माण तथा प्रस्तुतिकरण। इसके अलावा, पर्यावरण क्षेत्र में अधिक सहयोग के लिए एक संचालन समिति बनाने, क़ुम के संसाधनों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपयोग करने की क्षमता को सुदृढ़ करने, और इस महत्वपूर्ण मुद्दे को जनसाधारण में पहचान दिलाने के लिए हौज़वी प्रणाली के तहत विकासात्मक दृष्टिकोण, समकालीन फ़िक़ह, शोध परियोजनाओं की परिभाषा और इस मुद्दे पर प्रणाली के समर्थन की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने साथ ही सांस्कृतिक जागरूकता और संवाद के महत्व पर भी ज़ोर दिया।
आयतुल्लाह अराफ़ी ने क़ुम प्रांत की विशिष्ट स्थिति को इस प्रकार बताया: "क़ुम में हज़रत फ़ातिमा मसूमा (स) का मक़बरा स्थित है, और यह धार्मिक उस्तादों, छात्रों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानविकी के छात्रों के लिए एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। यह क्षेत्र धार्मिक और दैवीय शिक्षाओं के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसका देश एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रभाव है। यहाँ पर 100 से अधिक मानविकी में पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं, और यह क्षेत्र शैक्षिक और धार्मिक दृष्टि से अद्वितीय है।"
धार्मिक शिक्षण संस्थानो के प्रमुख ने विशेष रूप से हज़रत फ़ातिमा मसूमा (स) के प्रभाव के कारण क़ुम को 'महिलाओं का शहर' के रूप में प्रस्तुत किया, और कहा कि "आप जैसे व्यक्तित्व का इस महत्वपूर्ण पर्यावरणीय भूमिका में होना, आपकी विशेषज्ञता, ज्ञान, प्रतिबद्धता और कार्य को आगे बढ़ाने की इच्छा के कारण, लोगों में आशा का संचार कर सकता है और इस क्षेत्र की समस्याओं का समाधान कर सकता है।"
क़म प्रांत की दो प्रमुख चुनौतियाँ: धूल और सूखा
इसके बाद पर्यावरण संरक्षण संगठन की अध्यक्ष श्रमति निशा अंसारी ने इस मुलाकात में कहा कि दोनों संस्थाओं के बीच सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे ताकि क्षेत्रीय और दैवीय संसाधनों का बेहतर उपयोग करते हुए लोगों में जागरूकता और शिक्षा का प्रसार किया जा सके। उन्होंने क़म की प्रमुख पर्यावरणीय समस्याओं जैसे धूल के तूफान, सूखा और जल की कमी पर ध्यान केंद्रित किया और कहा कि इन समस्याओं का समाधान विशेषज्ञों द्वारा गहरे अध्ययन और विश्लेषण के बाद ही संभव होगा।
अंत में श्रीमति निशा अंसारी ने बिजली संकट पर भी विचार व्यक्त किया और कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए सौर और नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना, बिजली के बेहतर उपयोग और लोगों को इस संदर्भ में शिक्षा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
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